OSHO: भीतर ध्यान, बाहर प्रेम Bheetar Dhyan, Bahar Prem
"ध्यान का फूल खिले, प्रेम की गंध उड़े; फिर अगर तुम्हारी नैसर्गिक क्षमता होगी काव्य की, तो कवि हो जाओगे। अगर नैसर्गिक क्षमता होगी संगीत की, संगीतज्ञ हो जाओगे; नर्तक की, तो नर्तक हो जाओगे; मूर्तिकार की, तो मूर्तिकार हो जाओगे। फिर कुछ चेष्टा करके थोपना न होगा। क्योंकि सब थोपा हुआ झूठा और मिथ्या होता है। फिर तुम्हारी जो नैसर्गिक क्षमता होगी, उसका ही आविर्भाव होगा।" ओशो OSHO के प्रयोगों का स्वयं अनुभव करें OSHO International Meditation Resort में: http://www.osho.com/hi/visit एक सम्पूर्ण कार्यक्रम में भाग ले सकते हैं, जिसमे OSHO Meditations, OS