OSHO-Param Mukti Part 2
परम मुक्ति (भाग-2) संन्यास तुम्हारे प्राणों का गीत है, तुम्हारे प्राणों की सुवास है। खिलो, मगर किसी और की मान कर नहीं, अपनी मान कर। प्राणों से उठने दो यह सुवास तो यही सुवास स्वतंत्रता है, परम मुक्ति है, सत्य है, निर्वाण है। Sannyas is the song of your being, the fragrance of your being. Flower, but not by listening to someone else rather by listening to your own self. Let the fragrance arise from your being; then this fragrance is freedom, the ultimate liberation, the truth, nirvana.